Rajan Jems
Tuesday, 7 June 2016
Mithilanchal: शिव धर्म ही भारत का प्राणधर्म
Mithilanchal: शिव धर्म ही भारत का प्राणधर्म: शिव कह गए हैं- तुम मन के भीतर, आत्मा के भीतर जितना भी चाहो बढ़ते चलो | ‘ चरैवेति, चरैवेति ’ | किन्तु बाहरी जगत को उपेक्षा मत करो, क्यो...continue reading
Tuesday, 26 April 2016
Rajanjems-:जनेऊ क्या है :
जनेऊ क्या है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपरतथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भीहै।वैदिक धर्म में प्रत्येक आर्य का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। प्रत्येक आर्य (हिन्दू) जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे।ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है। द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म।लडकियों को भी जनेऊ धारण करने का अधिकार है ।जनेऊ की लंबाई : यज्ञोपवीत की लंबाई 96 अंगुल होती है। इसका अभिप्राय यह है कि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ अरण्यक मिलाकर कुल 32 विद्याएं होती है। 64 कलाओं में जैसे- वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान आदि।जनेऊ के नियम :1.यज्ञोपवीत को मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए। इसकास्थूल भाव यह है कि यज्ञोपवीत कमर से ऊंचा हो जाए और अपवित्र न हो। अपने व्रतशीलता के संकल्प का ध्यान इसी बहाने बार-बार किया जाए।2.यज्ञोपवीत का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए, तो बदल देना चाहिए। खंडित यज्ञोपवीत शरीर पर नहीं रखते। धागे कच्चे और गंदे होने लगें, तो पहले ही बदल देना उचित है।3.जन्म-मरण के सूतक के बाद इसे बदल देने की परम्परा है। महिलाओं को हर मास मासिक धर्म के बाद जनेऊ को बदल देना चाहिए ।4.यज्ञोपवीत शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता। साफ करने के लिएउसे कण्ठ में पहने रहकर ही घुमाकर धो लेते हैं। भूल से उतर जाए, तो प्रायश्चित करें ।5.मर्यादा बनाये रखने के लिए उसमें चाबी के गुच्छे आदि न बांधें। इसके लिए भिन्न व्यवस्था रखें। बालक जब इन नियमों के पालन करने योग्य हो जाएं, तभी उनका यज्ञोपवीत करना चाहिए।* चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।* वैज्ञानिकों अनुसार बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से इस समस्या से मुक्ति मिल जाती है।* कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जाग्रण होता है।* कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है।* माना जाता है कि शरीर के पृष्ठभाग में पीठ पर जाने वाली एक प्राकृतिक रेखा है जो विद्युत प्रवाह की तरह काम करती है। यह रेखा दाएं कंधे से लेकर कमर तक स्थित है। जनेऊ धारण करने से विद्युत प्रवाह नियंत्रित रहता है जिससे काम-क्रोध पर नियंत्रण रखने में आसानी होती है।* जनेऊ से पवित्रता का अहसास होता है। यह मन को बुरे कार्यों से बचाती है। कंधे पर जनेऊ है, इसका मात्र अहसास होने से ही मनुष्य भ्रष्टाचार से दूर रहने लगता है।
Monday, 11 April 2016
बिहार - जहाँ
अपना बिहार-जहाँ भगवान राम की पत्नी सीता का जन्म हुआ
बिहार -जहाँ महाभारत के दानवीर करण का जन्म हुआ
बिहार - जहाँ सबसे पहले महाजनपद बना!
बिहार - जहा बुद्ध को ज्ञान मिला
बिहार -जहाँ भगवान महावीर का जन्म हुआ
बिहार -जहाँ सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ
बिहार -जहाँ महाभारत के दानवीर करण का जन्म हुआ
बिहार - जहाँ सबसे पहले महाजनपद बना!
बिहार - जहा बुद्ध को ज्ञान मिला
बिहार -जहाँ भगवान महावीर का जन्म हुआ
बिहार -जहाँ सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ
Wednesday, 6 April 2016
Rajanjems:बिहार में से दारुबंदी पर
Rajanjems:बिहार में से दारुबंदी पर
बंदभईल दारू बिहार में,
पीये वाला जइहें तिहाड़ में ।
नशे में भैया के बहकी न पाँव,
गुस्से में भौजी अब, न छोड़िहें गाँव,
छोटकी रहे कबसे इंतजार में
बंद भईल दारू बिहार में ।।
दारू अड्डा सील भईल, लागी न जुगाड़,
इंगलिश खातिर दौड़े पडी, शहर- बाजार,
देशी -महुआ -पाउच , गईल चुल्हिभाड़ में
बंद भईल दारू बिहार में !!!
Blogger by Rajan kumar jha
Saturday, 2 April 2016
Mithilanchal: धुम्रपान मनुष्यों के लिए अभिशाप क्यूँ ?
Rajanjems: धुम्रपान मनुष्यों के लिए अभिशाप क्यूँ ?
धुम्रपान के बारे में जैसा कि सब को पता है ,की यह सबसे हानिकारक एवं धीमा जहर है जो मनुष्यों को दीमक के तरह धीरे-धीरे खाता है |इसकी शुरुआत हमारे देश में अंग्रेजी की पढाई शुरू होने(19विं सदी) के समय से ही हुई है अन्यथा यह केवल देवताओं,असुरों एवं राजा-महाराजाओं का हमसफर था | कुछ लोगकहते हैं कि वे शिवभक्त हैं इसीलिए गाजा,भांग,अफीम आदि नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं | लेकिन उनको यह पता नही है कि शिवभक्त शिव जोगी,बहुरहबा इत्यादि होते हैं, जिनका अपना परिवार नही होता है, जिनके पीछे कोई रोने वाला नही होता है |आप को भी अगर सही में शिवभक्त बनना है तो अपने परिवार को छोर कर शिवभक्ति में लीं हो जाइए | फिर देखिए कौन आपको रोकता है इन सब कर्मों से, आप को भांग,गाजा,अफीम आदि का सेवन करिए या फिर भस्म लगाइए अपने पुरे शरीर पर किसी को कोई फर्क नही पड़ेगा, बल्कि आपको देखकर या तो आपको प्रणाम करेंगे सब या फिर भोलेनाथ को याद करेंगे, उनकी जय-जयकार करेंगे | और अगर आप ऐसा नही कर सकते अर्थात आप अपने परिवारको नही छोड़ सकते तो कृप्या शिवभक्ति को अपनी शक्ति या बहाना बना कर इन्हें बदनाम ना करें, चूँकि ऐसा करने से आप खुद ही पाप के भागीदार बनेंगे | तो आइए, सबसे पहले जानते हैं कि धुम्रपान अथवा नशाखोरी मानव के लिए अफिशाप क्यूँ है, इस से क्या सब हानि है :-1.यह धीमा जहर जो है, मनुष्यों को धीरे-धीरे मौत के मुँह की ओर धकेलने वाला |2.इसका अति सेवन करने से मनुष्य अपना आपा खो बैठता है और अपने परिवार के साथ नही चाहते हुए भी गलत व्यवहार कर बैठता है |3.अति सेवन के कारण मनुष्य कहीं सड़क के किनारे तो कहीं नाले के किनारे या फिर गन्दी नालियों में लोटता रहता है, जो की रोज का नजारा बन गया है |4.अच्छे-अच्छों को यह कंगाल बना देता है, जब आप इस से अपना गहरा रिश्ता जोड़ लेते हैं और हाँ, जोड़ेंगे क्यों नही यही आप को छूटने ही नही देता है | इसका कथन है कि अगर एक बार जो पकड लिया हाथ तो बिना बर्बाद किये छोड़ेंगे नही |अब आप लोग सोच रहे होइएगा की शायद लेखक बेचारा इन सबों का सेवन नही करता है इसीलिए बोल रहा है | जी हां, आप गलत थोड़े ही सोचेंगे, पढ़े-लिखे जो ठहरे | तो भाई जब आप पढ़े-लिखे भी हैं और सोच भी सकते हैं तो क्यों ना लेखक की तरह ही सोचें |सबसे पहले मैं आप को अपने बारे में बताना चाहूँगा कि मैं क्या सोचता हूँ और क्या चाहता हूँ |1.मैं(सौरभ) सोचता क्या हूँ :-तो दोस्तों मैंने देखा की जब लोग नशा करने से अपना सब कुछ खो देता है, बड़े-छोटों काख्याल करना भूल जाता है | अपने परिवार के साथ ऐसा व्यवहार कर बैठता है जो की वह सोचा भी नही रहता है चाहनातो दूर | ये तो मैंने शराब और शराबीयों के बारे में बताया | अब दूसरा लीजिए, छोटा सा और कम खर्चीला पान-गुटखा,खैनी-तम्बाकू, बीडी-सिगरेट | मैंने देखा कि मात्र पांच रुपया का लोग पान और गुटखा खाकर ईधर-उधर थूकता रहता है, जीस के लिए उन्हें कई बार बुरा-भला भी सुनना पर जाता है और तो और मुम्बई जैसा शहरों में थूकने का भी जुर्माना भरना पर जाता है | अब करे भी क्या इन सब का आदि जो हैं | जो लोग आदि नहीं है वो अपने आप को मेरे category में सामिल होने का प्रयास कर रहे होंगे की शायद लेखक भी ऐसा ही होगा की कभी-कभार मौका मिलने या फिरमुफ्त में मिल रहा होगा तो इन तमाम बुरी चीजो में से कुछका सेवन कर लेते होंगे | जी नहीं, ऐसा कुछ भी नही है | मैना बस दो ही तरह से काम करता हु या तो बहुत अच्छे से याफिर नही ही करता हूँ | अब यह पढाई तो है नही न, जो की अच्छे से किया जाय | मेरे को ना चाय में भी हानि दिखी तो मैंने चाय भी खानी छोड़ दी | चाय वो भी खानी कितनी अजीब सीलग रही है सुनाने में सही है दोस्त मै ना बच्चे में बिस्कुट को चाय के साथ खाया करता था, हुई ना बात तो दोनों एक ही है | खैर, मैं एक अच्छे परिवार से बिलोंग करता हूँ जिसमे बच्चों को ना तो चाय पिने को मिलती है औरना ही एक रुपया भी |मैं जब भी अपने पापा से रुपया माँगा वो शिर्फ एक रुपया, क्योंकि ज्यादा तो मिलने का चांस ही नही बनता था | मैंने वो भी रुपया इसलिए माँगा की मेरे दोस्तों को जैसे-तैसे रुपया तो मिल जाती थी और वो जब भी कुछ खरीदता था तो मेरे को भी खिला देता था मगर मैं ऐसा नही कर पाता था | दर थी कि कहीं दोस्त मेरे को कहीं स्वार्थी ना समझ ले दोस्ती ख़तम होने की बात तो मेरे दिमाग में ना आती थी और ना ही ऐसी बात थी | क्योंकि मेरे को पता था कि दो ही तरह के बन्दों के पासदोस्त होते हैं पहला वो जो खर्चीला हो ,दूसरा जो पढने में तेज हो | मैं तो खर्चीला था ही नही आगे इसका भी कारन पता चलजायेगा हाँ, मगर मैं तेज जरुर था | इसीलिए, मेरे पास अगर साल भर एक-दो दोस्त ही रहते थे ,मगर परीक्षा के समय बहुत सारे दोस्त हो जाते थे | कहाँ मई अपनी जीवनी बताने में खो गया चलिए वापस चला जाय | हाँ, मैंने जब अपने पापा से एक रुपया माँगा तो वो बोले कि क्या करोगे ? मैं झूठ बोला कि वो चौकलेट खरीदनी है , झूठ इसलिए कि मैं अपने पापा से बहुतही डरता हूँ | पास में ही दूकान थी वो ले गए और पांच रूपये का कह्रिड दिए बोले भाई को भी दे देना(मेरा एक छोटा भाई भीहै ) | लेकिन मैंने उन्हें अपने भाई और दोस्तों में बाँट दिया मगर अच्छा नही लगा | वो लोग मन चाहा चीज खरीदते थे | मैंने उस दिन से पापा से रुपया मांगना ही छोड़ दिया |जिसका परिणाम है कि मैं आज गलती से भी सुपारी तक नही खाता हूँ | सुपारी इसलिए नही, की कहीं मेरे दांतों में काला-काला ना लग जाए और चाय इसलिए नही की चाय पिने वालों को ही ज्यादा गैस्टिक प्रॉब्लम हो जाती है |1.मैं(Rajan) चाहता क्या हूँ :-मैं यह चाहता हूँ की आप भी मेरी तरह गलत कामों में बस अपनी फायदा ही सोचें | ऐसा करने से बिना कुछ किये ही बहुत ज्यादा फायदा हो जायेगा |खैर आप कम-से-कम जो श्री नितीश कुमार जी(माननीय मुख्यमंत्री) शराब के ठेके खुलवाने के कारण बहुत ज्यादा बदनाम हो गए थे और जिसका परिणाम वो चुनाव के समय में भुगत लिए, उनकी तो सुने | अगर नही भी सुनियेगा तो प्रशासन और आपके घर की प्रशासन अर्थात आपकी बीबी आपको बकसने वाली नहीहै |हे! स्त्रियों, अगर मेरे जगाने-समझाने से, ये नशाखोर लोग अगर नही सुधारते हैं तो अब आपलोगों को जागने की जरुरत है |गलती करे ये लोग और परिणाम भुगते आप लोग ये कब तक चलेगा | उठिए-जागिये और इनका सामना कीजिये | अपने-आप सभी सुधर जायेंगे |लेखक की ओर से विशेष आग्रह :- कृप्या, नशापान ना करें और तोऔर खाश कर होली-पर्व के अवसर पर भी नहीं | यह आपके लिए एवं आपके परिवार के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है | अगर आप चाहते हैं कि आप के परिवार के सदस्य अथवा दोस्त लोग नशापान छोड़ दें, तो कृप्या उनको एक बार मेरा यह लेख जरुर पढने के लिए मेरी ओर से आमंत्रित कीजिएगा |
धुम्रपान के बारे में जैसा कि सब को पता है ,की यह सबसे हानिकारक एवं धीमा जहर है जो मनुष्यों को दीमक के तरह धीरे-धीरे खाता है |इसकी शुरुआत हमारे देश में अंग्रेजी की पढाई शुरू होने(19विं सदी) के समय से ही हुई है अन्यथा यह केवल देवताओं,असुरों एवं राजा-महाराजाओं का हमसफर था | कुछ लोगकहते हैं कि वे शिवभक्त हैं इसीलिए गाजा,भांग,अफीम आदि नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं | लेकिन उनको यह पता नही है कि शिवभक्त शिव जोगी,बहुरहबा इत्यादि होते हैं, जिनका अपना परिवार नही होता है, जिनके पीछे कोई रोने वाला नही होता है |आप को भी अगर सही में शिवभक्त बनना है तो अपने परिवार को छोर कर शिवभक्ति में लीं हो जाइए | फिर देखिए कौन आपको रोकता है इन सब कर्मों से, आप को भांग,गाजा,अफीम आदि का सेवन करिए या फिर भस्म लगाइए अपने पुरे शरीर पर किसी को कोई फर्क नही पड़ेगा, बल्कि आपको देखकर या तो आपको प्रणाम करेंगे सब या फिर भोलेनाथ को याद करेंगे, उनकी जय-जयकार करेंगे | और अगर आप ऐसा नही कर सकते अर्थात आप अपने परिवारको नही छोड़ सकते तो कृप्या शिवभक्ति को अपनी शक्ति या बहाना बना कर इन्हें बदनाम ना करें, चूँकि ऐसा करने से आप खुद ही पाप के भागीदार बनेंगे | तो आइए, सबसे पहले जानते हैं कि धुम्रपान अथवा नशाखोरी मानव के लिए अफिशाप क्यूँ है, इस से क्या सब हानि है :-1.यह धीमा जहर जो है, मनुष्यों को धीरे-धीरे मौत के मुँह की ओर धकेलने वाला |2.इसका अति सेवन करने से मनुष्य अपना आपा खो बैठता है और अपने परिवार के साथ नही चाहते हुए भी गलत व्यवहार कर बैठता है |3.अति सेवन के कारण मनुष्य कहीं सड़क के किनारे तो कहीं नाले के किनारे या फिर गन्दी नालियों में लोटता रहता है, जो की रोज का नजारा बन गया है |4.अच्छे-अच्छों को यह कंगाल बना देता है, जब आप इस से अपना गहरा रिश्ता जोड़ लेते हैं और हाँ, जोड़ेंगे क्यों नही यही आप को छूटने ही नही देता है | इसका कथन है कि अगर एक बार जो पकड लिया हाथ तो बिना बर्बाद किये छोड़ेंगे नही |अब आप लोग सोच रहे होइएगा की शायद लेखक बेचारा इन सबों का सेवन नही करता है इसीलिए बोल रहा है | जी हां, आप गलत थोड़े ही सोचेंगे, पढ़े-लिखे जो ठहरे | तो भाई जब आप पढ़े-लिखे भी हैं और सोच भी सकते हैं तो क्यों ना लेखक की तरह ही सोचें |सबसे पहले मैं आप को अपने बारे में बताना चाहूँगा कि मैं क्या सोचता हूँ और क्या चाहता हूँ |1.मैं(सौरभ) सोचता क्या हूँ :-तो दोस्तों मैंने देखा की जब लोग नशा करने से अपना सब कुछ खो देता है, बड़े-छोटों काख्याल करना भूल जाता है | अपने परिवार के साथ ऐसा व्यवहार कर बैठता है जो की वह सोचा भी नही रहता है चाहनातो दूर | ये तो मैंने शराब और शराबीयों के बारे में बताया | अब दूसरा लीजिए, छोटा सा और कम खर्चीला पान-गुटखा,खैनी-तम्बाकू, बीडी-सिगरेट | मैंने देखा कि मात्र पांच रुपया का लोग पान और गुटखा खाकर ईधर-उधर थूकता रहता है, जीस के लिए उन्हें कई बार बुरा-भला भी सुनना पर जाता है और तो और मुम्बई जैसा शहरों में थूकने का भी जुर्माना भरना पर जाता है | अब करे भी क्या इन सब का आदि जो हैं | जो लोग आदि नहीं है वो अपने आप को मेरे category में सामिल होने का प्रयास कर रहे होंगे की शायद लेखक भी ऐसा ही होगा की कभी-कभार मौका मिलने या फिरमुफ्त में मिल रहा होगा तो इन तमाम बुरी चीजो में से कुछका सेवन कर लेते होंगे | जी नहीं, ऐसा कुछ भी नही है | मैना बस दो ही तरह से काम करता हु या तो बहुत अच्छे से याफिर नही ही करता हूँ | अब यह पढाई तो है नही न, जो की अच्छे से किया जाय | मेरे को ना चाय में भी हानि दिखी तो मैंने चाय भी खानी छोड़ दी | चाय वो भी खानी कितनी अजीब सीलग रही है सुनाने में सही है दोस्त मै ना बच्चे में बिस्कुट को चाय के साथ खाया करता था, हुई ना बात तो दोनों एक ही है | खैर, मैं एक अच्छे परिवार से बिलोंग करता हूँ जिसमे बच्चों को ना तो चाय पिने को मिलती है औरना ही एक रुपया भी |मैं जब भी अपने पापा से रुपया माँगा वो शिर्फ एक रुपया, क्योंकि ज्यादा तो मिलने का चांस ही नही बनता था | मैंने वो भी रुपया इसलिए माँगा की मेरे दोस्तों को जैसे-तैसे रुपया तो मिल जाती थी और वो जब भी कुछ खरीदता था तो मेरे को भी खिला देता था मगर मैं ऐसा नही कर पाता था | दर थी कि कहीं दोस्त मेरे को कहीं स्वार्थी ना समझ ले दोस्ती ख़तम होने की बात तो मेरे दिमाग में ना आती थी और ना ही ऐसी बात थी | क्योंकि मेरे को पता था कि दो ही तरह के बन्दों के पासदोस्त होते हैं पहला वो जो खर्चीला हो ,दूसरा जो पढने में तेज हो | मैं तो खर्चीला था ही नही आगे इसका भी कारन पता चलजायेगा हाँ, मगर मैं तेज जरुर था | इसीलिए, मेरे पास अगर साल भर एक-दो दोस्त ही रहते थे ,मगर परीक्षा के समय बहुत सारे दोस्त हो जाते थे | कहाँ मई अपनी जीवनी बताने में खो गया चलिए वापस चला जाय | हाँ, मैंने जब अपने पापा से एक रुपया माँगा तो वो बोले कि क्या करोगे ? मैं झूठ बोला कि वो चौकलेट खरीदनी है , झूठ इसलिए कि मैं अपने पापा से बहुतही डरता हूँ | पास में ही दूकान थी वो ले गए और पांच रूपये का कह्रिड दिए बोले भाई को भी दे देना(मेरा एक छोटा भाई भीहै ) | लेकिन मैंने उन्हें अपने भाई और दोस्तों में बाँट दिया मगर अच्छा नही लगा | वो लोग मन चाहा चीज खरीदते थे | मैंने उस दिन से पापा से रुपया मांगना ही छोड़ दिया |जिसका परिणाम है कि मैं आज गलती से भी सुपारी तक नही खाता हूँ | सुपारी इसलिए नही, की कहीं मेरे दांतों में काला-काला ना लग जाए और चाय इसलिए नही की चाय पिने वालों को ही ज्यादा गैस्टिक प्रॉब्लम हो जाती है |1.मैं(Rajan) चाहता क्या हूँ :-मैं यह चाहता हूँ की आप भी मेरी तरह गलत कामों में बस अपनी फायदा ही सोचें | ऐसा करने से बिना कुछ किये ही बहुत ज्यादा फायदा हो जायेगा |खैर आप कम-से-कम जो श्री नितीश कुमार जी(माननीय मुख्यमंत्री) शराब के ठेके खुलवाने के कारण बहुत ज्यादा बदनाम हो गए थे और जिसका परिणाम वो चुनाव के समय में भुगत लिए, उनकी तो सुने | अगर नही भी सुनियेगा तो प्रशासन और आपके घर की प्रशासन अर्थात आपकी बीबी आपको बकसने वाली नहीहै |हे! स्त्रियों, अगर मेरे जगाने-समझाने से, ये नशाखोर लोग अगर नही सुधारते हैं तो अब आपलोगों को जागने की जरुरत है |गलती करे ये लोग और परिणाम भुगते आप लोग ये कब तक चलेगा | उठिए-जागिये और इनका सामना कीजिये | अपने-आप सभी सुधर जायेंगे |लेखक की ओर से विशेष आग्रह :- कृप्या, नशापान ना करें और तोऔर खाश कर होली-पर्व के अवसर पर भी नहीं | यह आपके लिए एवं आपके परिवार के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है | अगर आप चाहते हैं कि आप के परिवार के सदस्य अथवा दोस्त लोग नशापान छोड़ दें, तो कृप्या उनको एक बार मेरा यह लेख जरुर पढने के लिए मेरी ओर से आमंत्रित कीजिएगा |
Mithilanchal: दरभंगा रेलवे स्टेशन से नई दिल्ली के लिए नई रैक के साथ स्वतंत्रता सेनानी
स्वतंत्रता सेनानी को मिला नया रैक, रेल मंत्री को बधाईदरभंगा : दरभंगा रेलवे स्टेशन से नई दिल्ली के लिए नई रैक के साथ स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस विदा हुई. राजधानी और शताब्दी में व्यवहार होने वाली रैक स्वतंत्रता सेनानीको उपलब्ध कराया गया है. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज से स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की नई यात्रा शुरू हुई है. रेल मंत्रालय के इस निर्णय से आमलोगों में खुशी व्याप्त है. लेट-लतीफी के लिए मशहुर इस ट्रेन के समय पर चलने की उम्मीद बन गई है. इतना ही नहीं पुराने ट्रेन के ए.सी. प्रथम बॉगी में भी कोकरेच का हमला होता था. लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो गई. बजट में नई ट्रेन नहीं दी गई है. पर स्वतंत्रता सेनानी को नया रैक मिलने से यहां के लोगों को अब मलाल नहीं रहा और लोग रेल मंत्री सुरेश प्रभुको बधाई दे रहें हैं |
Tuesday, 22 March 2016
Holi the great Festival
Holi Festival in the whole India with Mithilanchal is celebrated very grandly. A day ahead of Holi bonfire is held combustion. The festival of Holi in a way forget hostility, happiness and joy to share with each other, the festival. Holi is a house like dishes are prepared, including pre-material is very special. The big day - at the feet of the elderly to receive blessings by putting little Abir. Holi color looks specifically at children.
So if the new marriage-Shudaon Lutri exiting party. These people with your sister-in-law went to enjoy a variety of Holly.Now people in the festival of colors Holi colors are to be avoided. Sometimes the colors would have led to the assault. But it should not be a person not want to paint them, but fight as not to Gualala.
Some people who do drugs and drink should not have them, well their thinking. What these alcoholics? In all that they forget the sorrow or joy is visible just to drink wine.
Why Smoking curse for humans?
Of which you and your family is very beneficial for those.
So let us all get to enjoy the Holly. All gums may be ignored. And said Sara Ra Ra, Holly, Holly's brother, get all the play Holi, Holi is not mind.
Subscribe to:
Posts (Atom)